मैंकिंडर का हृदय स्थल सिद्धांत -: mackinder’s heartland theory
mackinder’s heartland theory– मैंकिंडर ने 1904 में इतिहास की भौगोलिक दूरी नामक लेख के द्वारा समुद्री एवं स्थल सेना के सापेक्ष महत्व में परिवर्तन के कारण विश्व के भू-राजनीति में होने वाले परिवर्तन को स्पष्ट करने का प्रयास किया।
मैंकिंडर विश्व के मानचित्र के अध्ययन के द्वारा एक ऐसे सामरिक धोरी क्षेत्र की पहचान की जो तीन तरफ से पर्वतों एवं पठानों से घिरे होने के साथ एक तरफ से ही माझा वितर्क टिक महासागर से घिरे होने के कारण एक सुरक्षित दुर्ग या किला के समान था जहां, समुद्री सेना से आक्रमण करना संभव नहीं था।
सामरिक धूरी एवं आंतरिक अर्धचंद्राकार क्षेत्र -:
मैंकिंडर ने सामरिक धुरी के सीमांत पर अवस्थित तटीय देशों को आंतरिक अर्धचंद्राकार क्षेत्र का नाम दिया।
सामरिक धूरी एवं आंतरिक अर्धचंद्राकार क्षेत्र को विश्वदीप का नाम देते हुए उन्होंने यह भी विचार व्यक्त किया कि प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न क्षेत्र में जहां 80% से अधिक जनसंख्या निवास करती है वहीं विश्व के संपूर्ण क्षेत्रफल का दो तिहाई स्थलीय भाग इस क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इसलिए विश्व द्वीप में आर्थिक एवं सामाजिक विकास की असीम संभावनाएं हैं।
विश्व द्वीप से बाहर स्थित क्षेत्र को बाहर चंद्राकार नाम दिया। मैंकिंडर का मानना था कि यूराल पर्वत एवं काला सागर के मध्य में स्टेट घास के मैदान से सामरिक दूरी के क्षेत्र में आक्रमण किया जा सकता है।
मैंकिंडर द्वारा दिए गए विचारों के अनुरूप प्रथम विश्व युद्ध के समय परिस्थितियां उत्पन्न हुई जहां ब्रिटेन में काला सागर एवं बाल्टिक सागर से इस क्षेत्र में प्रवेश करने का प्रयास किया वहीं जर्मनी ने ब्रिटेन के साथ-साथ सोवियत संघ पर भी आक्रमण किया।
सामरिक धोरी के भू-राजनीतिक महत्व को देखते हुए मैंकिंडर ने 1919 में जहां इसे हृदय स्थल का नाम दिया वही हृदय स्थल के सीमा क्षेत्र में बाल्टिक सागर एवं काला सागर तक के तटीय क्षेत्र को भी सम्मिलित कर लिया।
मैंकिंडर के सिद्धांत के राजनीतिक महत्व -: mackinder’s heartland theory
हृदय स्थल के भू राजनीतिक महत्व को स्पष्ट करने के लिए इन्होंने अपने सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए यह विचार व्यक्त किया कि ” जो पूर्वी यूरोप प्रशासन करेगा उसका ह्रदय स्थल पर नियंत्रण होगा, जो हृदय स्थल पर शासन करेगा उसका विश्वदीप पर नियंत्रण होगा, जो विश्वदीप प्रशासन करेगा उसका विश्व पर नियंत्रण होगा।”
द्वितीय विश्व युद्ध के समय यहां विश्व दो गुटों में बट गया वहीं मित्र राष्ट्र की जीत के साथ धुरी राष्ट्र में जर्मनी का पराजय होने के कारण मैंकिंडर के हृदय स्थल सिद्धांत की प्रासंगिकता को लेकर प्रश्न उठने लगे।
विश्व युद्ध के समय अमेरिका की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई मैंकिंडर ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय हो रहे हो राजनीतिक परिवर्तन को देखते हुए अपने सिद्धांत को प्रासंगिक बनाने के लिए जहां हृदय स्थल से यह ने सी नदी वैसे इनके पूर्वी क्षेत्र को लीनालैंड का नाम दिया वहीं इसे मुख्य ह्रदय स्थल से बाहर कर दिया।
द्वितीय हृदय स्थल के रूप में मिडलैंड बेसिन की पहचान की जिससे तट पर पश्चिम के यूरोपियन देशों के साथ उत्तरी अमेरिका का पूर्वी तट क्षेत्र था इनका यह मानना था कि मिडलैंड बेसिन के तटीय क्षेत्र ना केवल प्राकृतिक एवं सामाजिक, सांस्कृतिक दृष्टि से एक समान हैं बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के भंडार की दृष्टि से संपन्न होने के कारण आर्थिक एवं सामाजिक विकास की भी पर्याप्त संभावनाएं हैं।
इस प्रकार इन्होंने मिडलैंड के भू राजनीतिक महत्व को स्पष्ट करते हुए विश्व की राजनीति में दो हृदय स्थल की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।
मैंकिंडर के सिद्धांत की आलोचना -: mackinder’s heartland theory
मैंकिंडर के हृदय स्थल सिद्धांत नियती वादी विचारधारा पर आधारित था इन्होंने स्थल एवं समुद्री सेना के संदर्भ में वैश्विक स्तर पर भी राजनैतिक संबंधों में होने वाले परिवर्तन को स्पष्ट करने के लिए तत्कालीन परिस्थितियों के अनुरूप सिद्धांत में संशोधन कर प्रासंगिकता को बनाए रखने का प्रयास किया लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम के बाद इनके सिद्धांत की आलोचना होने लगी।
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मैंकिंडर के अनुसार भू राजनैतिक संबंधों के निर्धारण में भौगोलिक अवस्थिति के साथ सैन्य शक्तियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है लेकिन वास्तव में विभिन्न देशों के संबंधों के निर्धारण में ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ आर्थिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिसे हृदय स्थल सिद्धांत में विश्लेषण का आधार नहीं बनाया गया।
किसी भी देश की आर्थिक एवं सामाजिक विकास पर वहां की प्राकृतिक दशाओं का सर्वाधिक प्रभाव रहता है। मैंकिंडर ने हृदय स्थल में आर्थिक एवं सामाजिक विकास की संभावनाओं को स्पष्ट करते समय भौगोलिक आकार या क्षेत्रफल को महत्व दिया जबकि हृदय स्थल की प्राकृतिक दशाओं के प्रतिकूल होने के कारण आज भी वह विश्व के विरल आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है। जहां प्राकृतिक संसाधनों के भंडार होने के बावजूद प्राकृतिक दशाओं के प्रतिकूल होने के कारण ही आर्थिक एवं तकनीकी दृष्टि से संसाधनों का दोहन करना एक कठिन कार्य है।
इन्होंने मर्केटर प्रक्षेप पर निर्मित विश्व मानचित्र को अध्ययन का आधार बनाया इस प्रक्षेप पर बनाए गए मानचित्र में विषुवत रेखा से ध्रुव की ओर जाने पर किसी भी देश के क्षेत्रफल में आनुपातिक रूप से वृद्धि होती है जिसके कारण ही मैंकिंडर को हृदय स्थल वास्तविक आकार से बड़ा नजर आया इस प्रकार हृदय स्थल के अध्ययन का आधार ही गलत था।
विश्व युद्ध के समय तकनीकी दृष्टि से विकसित देशों के द्वारा आक्रमण के लिए वायुयान का उपयोग किया जा रहा था जिसे मैंकिंडर मैं अपने सिद्धांत में महत्व नहीं दिया जबकि वायु सेना के द्वारा किसी भी क्षेत्र में आक्रमण किया जा सकता है इस प्रकार ह्रदय स्थल भी आक्रमण की दृष्टि से सुरक्षित नहीं था।
mackinder’s heartland theory
इस प्रकार द्वितीय विश्व युद्ध के बाद में केंद्र के हृदय स्थल सिद्धांत की आलोचना कई बिंदुओं पर होने लगी जिससे सिद्धांत की प्रासंगिकता को लेकर कई प्रश्न उठने लगे जब 1991 में सोवियत संघ का विघटन होने के कारण हृदय स्थल का वह राजनीतिक महत्व नहीं रह गया तब मैं किंडर के हृदय स्थल सिद्धांत की प्रासंगिकता समाप्त हो गई।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मैकिंडर के हृदयस्थल सिद्धांत की परिकल्पना -:
Question – मैकेंडर द्वारा प्रस्तुत हृदयस्थल सिद्धांत पर विवेचना कीजिये?
हार्टलैंड का सिद्धांत एक भू-राजनीतिक सिद्धांत है। सिद्धांत 1904 में मैकिंडर द्वारा गढ़ा गया था। सिद्धांत के अनुसार, महाद्वीपीय शक्ति और महासागरीय शक्ति के बीच शक्ति का निरंतर संघर्ष देखा जा सकता है, और भौगोलिक लाभ होने के कारण अंतिम जीत महाद्वीपीय शक्ति की होगी।
मैकिंडर ने भू-राजनीतिक रणनीतियों के आधार पर दुनिया को पाँच प्रमुख भूभागों में विभाजित किया।
- गढ़ या धुरी क्षेत्र
- विश्व द्वीप
- भीतरी वर्धमान या सीमांत वर्धमान
- अपतटीय द्वीपों
- बाहरी वर्धमान
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हार्टलैंड या पिवट एरिया:
हार्टलैंड लैंडमास में यूरेशिया के मध्य भाग और तीन तरफ से पहाड़ी किले और उत्तर में आर्कटिक महासागर शामिल हैं। यह समुद्री शक्ति द्वारा पहुँचा नहीं जा सकता क्योंकि पहाड़ एक किले की तरह काम करता है।
विश्व द्वीप:
विश्व द्वीप में यूरेशिया और अफ्रीका शामिल हैं जो विश्व क्षेत्र का 2/3 भाग हैं।
आंतरिक या सीमांत वर्धमान:
हृदयस्थल भीतरी या सीमांत वर्धमान से घिरा हुआ है। इसमें पश्चिमी यूरोप, पश्चिम एशिया, भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी चीन शामिल हैं।
अपतटीय द्वीपों:
ब्रिटेन और जापान
बाहरी या द्वीपीय वर्धमान:
उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया।
सिद्धांत का सारांश हैं:
जिसके पास पूर्वी यूरोप का नियंत्रण होगा वह ह्रदय स्थल पर शासन करेगा। जिसका हृदयभूमि पर नियंत्रण होगा वह विश्व द्वीप पर शासन करेगा। जिसके पास विश्व द्वीप का नियंत्रण होगा वह दुनिया पर शासन करेगा।
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becouse Kumar gaurav sir ke notes ka hai.