पेरॉक्स और बाउदीविले का सिद्धांत | Perox and Baudiville’s theory in hindi

पेरॉक्स और बाउदीविले का सिद्धांत -:

पेरॉक्स

प्रादेशिक विषमता जैसी जटिल समस्याओं के समाधान के लिए आर्थिक एवं सामाजिक विकास पर आधारित दिए गए विचारों में फ्रांस के अर्थशास्त्री पेरॉक्स के विकास ध्रुव की संकल्पना का विशेष महत्व है।

पेरॉक्स और बाउदीविले का आर्थिक विकास -:

पेरॉक्स

पेरॉक्स के अनुसार आर्थिक विकास मंद गति से होने वाली एक सतत प्रक्रिया है इसलिए किसी भी क्षेत्र में आर्थिक विकास की प्रक्रिया को प्रोत्साहन देने के लिए एक ऐसे विकास थ्रू को स्थापित करने की आवश्यकता है |

जहां अभिकेंद्रीय एवं अपकेंद्रीय बल के प्रभावशाली होने पर विकास की प्रक्रिया का प्रसार होगा।

पेरॉक्स की संकल्पना क्रिस्टॉलर के केंद्रीय स्थल सिद्धांत पर आधारित है लेकिन जहां क्रिस्टॉलर के अनुसार केंद्रीय स्थल वस्तुओं एवं सेवाओं को प्रदान करने वाले केंद्र होते हैं वही पेरॉक्स के अनुसार विकास ध्रुव एक ऐसा औद्योगिक केंद्र होता है |

जहां अग्रगामी एवं पश्चिमी संबंध होने के कारण किसी भी उद्योग को स्थापित किए जाने पर उससे संबंधित अन्य उद्योगों के विकास को प्रोत्साहन मिलता है।

पेरॉक्स के विकास ध्रुव की संकल्पना -:

विकास ध्रुव की संकल्पना के आधार पर भारत जैसे देश में भी औद्योगिक विकास की योजना बनाई गई लेकिन जहां विकास ध्रुव के रूप में उद्योगों को स्थापित किया गया |

वहां अपकेंद्रीय बल की अपेक्षा अभिकेंद्रीय बल के प्रभावशाली होने के कारण आर्थिक क्रियाओं के केंद्रीय करण से औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन तो मिला लेकिन प्रादेशिक विषमता जैसी जटिल समस्या का समाधान नहीं हो सका।

क्योंकि पेरॉक्स के द्वारा दिए गए विचार अर्थशास्त्र के दृष्टिकोण से प्रस्तावित था इसलिए वाउदेविले ने पेरॉक्स के विकास ध्रुव की संकल्पना को भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में संशोधित करते हुए आर्थिक एवं सामाजिक विकास पर 4 पदानुक्रमीय मॉडल को विकसित किया।

बाउदीविले मॉडल सिद्धांत -:

पेरॉक्स

बाउदीविले भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में विकास ध्रुव की संकल्पना को संशोधित करते हुए आर्थिक क्रियाओं के विकेंद्रीकरण के द्वारा प्रादेशिक विषमता को कम करने के उद्देश्य से आर्थिक एवं सामाजिक विकास पर आधारित 4 पदानुक्रमीय मॉडल को विकसित किया। जो निम्न प्रकार से हैं

पेरॉक्स

विकास ध्रुव -:

बाउदीविले के अनुसार स्थानीय स्तर पर सेवा केंद्र को स्थापित कर नगर से संबंधित सुविधाओं को उपलब्ध कराकर स्थानीय समुदाय की नगर पर निर्भरता को कम किया जा सकता है।

सेवा केंद्र को स्थापित करने का उद्देश्य स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के बजाय स्वास्थ्य, शिक्षा, बाजार एवं परिवहन के सुविधाओं को उपलब्ध कराने से संबंधित होना चाहिए।

विकास केंद्र -:

जनसंख्या के आधार पर सेवा केंद्रों के मध्य विकास बिंदु को स्थापित किया जाना चाहिए जिसका उद्देश्य स्थानीय संसाधनों को ध्यान में रखकर औद्योगिक विकास के द्वारा उन लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने से होना चाहिए जो अपने क्षेत्र को किसी कारण छोड़कर नहीं जा पाते हैं।

विकास बिंदु -:

विकास बिंदु से वे सभी वस्तुएं एवं सेवाएं उपलब्ध होती हैं जो सेवा केंद्र की विशेषता होती हैं लेकिन कुछ ऐसी भी विशेषताएं निहित होती हैं जो विकास बिंदु के लिए विशिष्ट होती हैं।

सेवा केंद्र -:

विकास ध्रुव पर पड़ने वाले दबाव को कम करने के लिए विकास केंद्र को स्थापित किया जाना चाहिए जहां उन उद्योगों के विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए जिन्हें विकास ध्रुव में स्थापित करना लाभदायक नहीं हो।

वास्तव में विकास केंद्र को विकास ध्रुव के पूरक के रूप में ना कि प्रतिद्वंदी केंद्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।

इस प्रकार बाउदीविले विकास ध्रुव एवं विकास केंद्र पर आधारित मॉडल के द्वारा विकास ध्रुव के साथ आर्थिक विकास के अन्य इकाइयों को विकसित करने के लिए मॉडल से संबंधित विशेषताओं का वर्णन कर आर्थिक क्रियाओं के विकेंद्रीकृत की प्रक्रिया को स्पष्ट करने का प्रयास किया।

भारत के संदर्भ में -:

बाउदीविले के द्वारा दिए गए मॉडल के आधार पर आस्ट्रेलिया एवं लैटिन अमेरिका के देशों में प्रादेशिक विषमता को कम करने के लिए आर्थिक विकास की योजनाएं बनाई गई।

यहां तक की भारत जैसे देश में जहां उपनिवेशवाद के प्रभाव से प्रादेशिक विषमता एक जटिल समस्या बन चुकी थी वहां भारत के भूगोल नेताओं ने भी बाउदी विलय के मॉडल का समर्थन करते हुए भारत के परिपेक्ष में प्रासंगिक बनाने के लिए अपने सुझाव या विचार व्यक्त किए।

आर0पी0 मिश्रा ने सेवा केंद्र के साथ ग्रामीण केंद्र को सम्मिलित कर यह विचार व्यक्त किया कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में जहां आधी से अधिक जनसंख्या गांव में निवास करती है वहां ग्रामीण प्रदेश को भी आर्थिक विकास के केंद्र के रूप में विकसित कर आर्थिक क्रियाओं के विकेंद्रीकरण के साथ प्रादेशिक विषमता जैसी जटिल समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

योजना आयोग ने भी छठवीं पंचवर्षीय योजना के समय विकास ध्रुव एवं केंद्र की संकल्पना पर आधारित इस मॉडल को भारत के संदर्भ में प्रासंगिक मानते हुए बहु स्तरीय नियोजन की प्रक्रिया को अपनाने का सुझाव दिया।

विकास ध्रुव और विकास केंद्र की संकल्पना का आलोचनात्मक वर्णन?

पेरॉक्स

पेरॉक्स एवं बाउदीविले के द्वारा दिए गए सिद्धांत या मॉडल में आर्थिक विकास के विभिन्न केंद्रों के मध्य पदानुक्रमिक संबंधों को स्पष्ट नहीं किया गया है जबकि आर्थिक क्रियाओं के विकेंद्रीकरण के लिए विभिन्न कोटि के केंद्रीय स्थलों के मध्य एक प्रकार का पदानुक्रमिक संबंध होना आवश्यक है।

आर्थिक विकास एक सतत प्रक्रिया है जिसके कारण आर्थिक विकास के विभिन्न केंद्रों की केंद्रीयता परिवर्तनशील होती रहती है। यदि किसी क्षेत्र में औद्योगिक विकास के लिए स्थानीय दशाएं अनुकूल होती हैं तब उस क्षेत्र में उद्योगों का परित विकास होने पर ना केवल अभिकेंद्रीय बल अधिक प्रभावशाली हो जाएगा बल्कि आर्थिक विकास के विभिन्न केंद्रों में पदानुक्रमिक संबंध स्थापित करना भी एक जटिल कार्य हो सकता है।

पेरॉक्स एवं बाउदीविले ने आर्थिक विकास की प्रक्रिया का वर्णन करते समय सामाजिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं को महत्व नहीं दिया जबकि सामाजिक दृष्टि से पिछड़े हुए क्षेत्रों में आर्थिक विकास को प्राथमिकता दिए जाने के बावजूद विकास की प्रक्रिया में जन समुदाय की सहभागिता नहीं होने पर आर्थिक विकास में बाधाएं उत्पन्न होती हैं।

किसी भी क्षेत्र विशेष की प्राकृतिक दशाओं का भी आर्थिक विकास पर प्रभाव पड़ता है जिसे इस मॉडल पर महत्व नहीं दिया गया। प्राकृतिक संसाधनों के भंडार से संपन्न क्षेत्र जहां की प्राकृतिक दर्शाए प्रतिकूल होती हैं वहां आर्थिक विकास की संभावनाएं सीमित हो जाती हैं।

Better Future is yet to come

आर्थिक विकास की ग्रोथ पोल अवधारणा

5 thoughts on “पेरॉक्स और बाउदीविले का सिद्धांत | Perox and Baudiville’s theory in hindi”

  1. Behatreen notes with hand made short notes.
    Ye notes kumar gaurav sir ke notes se hai.
    Aap jo bhi hai thank you sir.
    Please sabhi chapter ko upload kijiyega.

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