Malthus’s Population Theory | माल्थस के जनसंख्या वृद्धि सिद्धांत

माल्थस के जनसंख्या वृद्धि सिद्धांत

 

माल्थस के जनसंख्या वृद्धि सिद्धांत

Malthus’s Population Theory-  माल्थस के जनसंख्या वृद्धि सिद्धांत के अनुसार खाद्यान फसलों के उत्पादन में अंकगणितीय दर से होने वाले वृद्धि के साथ जनसंख्या में ज्यामितीय दर से होने वाली वृद्धि के कारण एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी जिससे जनसंख्या का आकार खाद्यान्न फसलों की उपलब्धता से अधिक हो जाएगा।

इनका यह भी मानना था कि जीवन स्तर में सुधार होने पर स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं के उपलब्ध होने के कारण मृत्यु दर में कमी आने से जनसंख्या में वृद्धि का दर अधिक हो जाएगा।

इन्होंने पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का समर्थन करते हुए कहा कि पूंजी वादियों का भूमि संसाधन पर अधिकार होने के कारण हुए अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में वृद्धि करना चाहेंगे,

वही उच्च जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए जन्म दर को भी कम करना चाहिए जिससे जनसंख्या में वृद्धि कदर कम होगा लेकिन इसके बावजूद भी जनसंख्या में ज्यामितीय दर से वृद्धि होने के कारण जब जनसंख्या का आकार खाद्यान्न फसलों की उपलब्धता से अधिक होगा तब खाद्यान्न संकट की स्थिति उत्पन्न होगी।

ऐसी स्थिति में प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध और महामारी के प्रभाव से जहां मृत्यु दर में वृद्धि होगी वही परिवार नियोजन, ब्रम्हचर्य एवं विवाह में देरी के कारण जन्म दर में कमी आने से जनसंख्या का ह्रास होगा।

माल्थस ने मानव के द्वारा अपनाए जाने वाले निषेधात्मक उपाय के अपेक्षा जनसंख्या के नियंत्रण के लिए सकारात्मक उपाय को अधिक प्राथमिकता दी।

 

माल्थस

माल्थस एवं मार्क्स का जनसंख्या वृद्धि सिद्धांत

 

माल्थस

मार्क्स का यह मानना था कि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के प्रभाव से समाज पूंजीवादी एवं श्रमिक वर्ग में विभाजित हो जाएगा।

श्रमिकों के लिए श्रम पूंजी अर्जित करने का साधनों का ऐसी स्थिति में वे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जनसंख्या में वृद्धि करेंगे।

मार्क्स ने समाजवादी विचारधारा का समर्थन करते हुए यह विचार व्यक्त किया कि श्रमिकों के पास संसाधनों के उपयोग का अधिकार होने पर ही गरीबी एवं बेरोजगारी की समस्या का समाधान होगा, समाज में विषमता कम होगी जिससे जनसंख्या वृद्धि की दर में भी कमी आएगी।

माल्थस के सिद्धांत की आलोचनाएं

1 माल्थस के अनुसार बच्चे पैदा करना जैविक आवश्यकता है जबकि वास्तव में यह समाज की आवश्यकताओं में से एक है।

2 माल्थस के अनुसार प्राकृतिक संसाधनों के सीमित उपलब्धता के साथ भूमि संसाधन की उत्पादन क्षमता के सीमित होने के कारण खदान फसलों का उत्पादन अंकगणितीय दर से होता है जबकि वास्तव में संसाधन होते नहीं बनाए जाते हैं।

तकनीकी विकास के कारण कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन होने से ना केवल भूमि की उत्पादकता में वृद्धि हुई बल्कि का दान फसलों के साथ आहार के वैकल्पिक स्रोतों का उत्पादन होने लगा।

भारत जैसे देश में जहां जनसंख्या का आकार वृहद होने के साथ जन संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है वहां हरित, श्वेत एवं नीली क्रांति कार्यक्रम के सफल होने के कारण खाद्य सुरक्षा को ना केवल सुरक्षित करने में सफलता मिली है बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के समय में खाद्यान्न आपूर्ति की दृष्टि से देश आत्मनिर्भर है।

3 माल्थस ने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए निवारक उपाय के अपेक्षा सकारात्मक उपाय को अधिक महत्व दिया।

इनके अनुसार प्राकृतिक आपदाओं के साथ युद्ध एवं महामारी के प्रभाव से मृत्यु दर में वृद्धि होने के कारण जन संख्या में कमी जबकि जिस माल्थस ने अपने विचारों को व्यक्त किया था उसी दौरान फ्रांस में जनसंख्या वृद्धि के दर को नियंत्रित करने के लिए परिवार नियोजन की विधियों को प्राथमिकता दी जा रही थी।

यहां तक नवमाल्थ्सवादी विचार के अनुसार भी मानव समुदाय निवारक उपाय को अपनाकर जनसंख्या वृद्धि की दर को नियंत्रित करेगा।

4 जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत पर आधारित मॉडल के अनुसार आर्थिक विकास के कारण प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव के कम होने के साथ स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं के उपलब्ध होने से जहां मृत्यु दर में कमी आएगी वही सामाजिक विकास के कारण जीवन स्तर में सुधार होने के साथ जन्म दर में भी कमी आएगी जिससे अंततः जनसंख्या वृद्धि का दर नगण्य हो जाएगा।

माल्थस के सिद्धांत की प्राथमिकता

 

माल्थस

वैश्विक स्तर पर वर्तमान समय में जहां मार्क्सवादी विचारधारा आर्थिक एवं सामाजिक विकास की दृष्टि से पूर्णतया प्रासंगिक नहीं है वही पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता देते हुए संसाधनों का उपयोग किए जाने पर समाज में विषमता बढ़ सकती है।

ऐसी स्थिति में नवपूंजीवादी विचारधारा को प्राथमिकता देते हुए आर्थिक विकास के ऐसी प्रक्रिया को अपनाने चाहिए जिससे गरीब से गरीब लोगों के समस्याओं का समाधान हो सके।

वर्तमान समय में वैश्वीकरण पर आधारित अर्थव्यवस्था को अपनाए जाने के बावजूद समाज में विषमता बनी हुई है। सामाजिक दृष्टि से पिछड़े हुए क्षेत्रों में औसत से अधिक जन्मदर होने के कारण जन संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है जिससे संसाधनों पर जन दबाव बढ़ता जा रहा है।

संसाधनों का दोहन किए जाने के कारण न केवल संसाधन में संकट की समस्या उत्पन्न होने लगी है बल्कि पर्यावरण में प्रदूषण के कारण प्राकृतिक आपदाओं की आकृति एवं तीव्रता में भी वृद्धि हो रही है।

इसी प्रकार जनसंख्या में वृद्धि होती है तो भविष्य में माल्थस का जनसंख्या वृद्धि सिद्धांत प्रासंगिक हो जाएगा क्योंकि जनसंख्या में होने वाली वृद्धि संसाधन संकट के साथ खाद्यान्न संकट का एक महत्वपूर्ण कारण बन जाएगा।

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6 thoughts on “Malthus’s Population Theory | माल्थस के जनसंख्या वृद्धि सिद्धांत”

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