दक्षिण का पठार (Peninsular plateau)
यह भारत का ही नहीं विश्व का प्राचीनतम पठार है। यह आर्कियन काल के चट्टान से बना है तथा इसका कोई भी भाग समुद्र के नीचे नहीं डूबा है।
विवर्तनिकी दृष्टि से शांत क्षेत्र होने के कारण यहां भूकंप आने की संभावना काफी कम है हालांकि कोएना और लातूर में आए भूकंप ने इस पर प्रश्न चिन्ह लगाया है।
अरावली कैमूर राजमहल एवं शिलांग की पहाड़ियां प्रायद्वीपीय पठार की उत्तरी सीमा बनाती हैं इसका दक्षिणी छोर कन्याकुमारी है जो हिंद महासागर को छूती है।
इसकी पूर्वी सीमा पर पूर्वी घाट पर्वत है जो पूर्वी तटीय मैदान के पश्चिम में स्थित है। यह अवशिष्ट पर्वत के रूप में है जो लगातार ना होकर बीच-बीच में टूटा हुआ है।
इसके पश्चिमी किनारे पर पश्चिमी घाट पर्वत स्थित है यह एक ब्लॉक पर्वत के रूप में है।
अफ्रीका से भारत के अलग होने के क्रम में अरब सागर के रूप में भ्रंश घाटी का निर्माण हुआ है और भैंस का कार के रूप में पश्चिमी घाट पर्वत बच गया है।
प्रायद्वीपीय भारत के पश्चिमी तट की तीव्र ढाल उस भ्रंश को धोतित करती है
अरावली पर्वत
यह एक अवशिष्ट पर्वत है यह विश्व के प्राचीनतम मोड दार पर्वतों में से एक है अरावली की लंबाई लगभग 800 किलोमीटर है।
जो दिल्ली से पालनपुर गुजरात तक फैला है। यह उदयपुर के निकट दरगाह एवं दिल्ली के समीप दिल्ली की पहाड़ियां के नाम से जाना जाता है।
अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर गुरु शिखर है। यह आबू पहाड़ी पर स्थित है। माउंट आबू एक प्रसिद्ध स्वास्थ्यवर्धक स्थान है।
ब्रम्हाकुमारी यों ने खाना बनाने के लिए विश्व की सबसे बड़ी स्वर्गवास पर प्रणाली इसी माउंट आबू में स्थापित की थी।
पश्चिमी घाट पर्वत सहयाद्री श्रेणी
पश्चिमी घाट पर्वत हिमालय के बाद भारत की दूसरी सबसे लंबी पर्वत श्रेणी है इसकी लंबाई करीब 1500 किलोमीटर है।
सहयाद्री श्रेणी अथवा पश्चिमी घाट पर्वत का फैलाव ताप्ती नदी घाटी से नीलगिरी पहाड़ी तक है। पश्चिमी घाट पर्वत को हम सहयाद्रि के नाम से भी जानते हैं।
इसे हम दो भागों में बांटते हैं उत्तरी सहयात्री एवं दक्षिणी सहयाद्री। दोनों की विभाजक रेखा 16 डिग्री उत्तरी अक्षांश रेखा है जो गोवा से गुजरती है।
उत्तरी सहयाद्री के ऊपरी सतह पर लावा के निक्षेप हैं।
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