अमेरिकी क्रांति

अमेरिकी क्रांति के कारण

अमेरिकी क्रांति

1. स्वतंत्रता की चेतना

अमेरिकी समाज में स्वतंत्रता की चेतना मौजूद थी वस्तुतः आरंभ में अमेरिका में आने वाले यूरोपीय जो पराया इंग्लैंड से संबंधित व उसके प्रगतिशील वातावरण एवं चिंतन से परिचित है और उन्होंने अमेरिका में स्वतंत्रता पूर्वक कार्य किया। दरअसल आरंभ में इंग्लैंड अमेरिकियों पर कठोर नियंत्रण नहीं रख सका क्योंकि इंग्लैंड में संसद एवं राजतंत्र के बीच संघर्ष चल रहा था जब यह संघर्ष 1688 में इंग्लैंड की गौरवपूर्ण क्रांति के साथ समाप्त हुआ और संसद की शक्ति को मान्यता मिली तत्पश्चात इंग्लैंड ने अमेरिका में औपनिवेशिक नीतियों को कठोरता से लागू करने का प्रयास किया फलता अमेरिकियों की स्वतंत्र चेतना बाधित हुई और उनमें असंतोष पैदा हुआ जिसने क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया।

2. दोषपूर्ण शासन व्यवस्था

अमेरिका में ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त किया गया गवर्नर शासन का सर्वोच्च था जो अपने मनोनीत सदस्यों के माध्यम से शासन चलाता था दूसरी तरफ अमेरिकी लोगों द्वारा निर्मित एक स्थानीय परिषद थी जिसे कानून बनाने का अधिकार तो था किंतु यह अधिकार गवर्नर की इच्छा पर निर्भर करता था शासन की स्त्रोत पूर्ण संरचना से अमेरिकी असंतुष्ट हुए।

3. ब्रिटिश औपनिवेशिक आर्थिक कानून

ब्रिटिश सरकार ने उपनिवेशवादी सिद्धांतों के अंतर्गत वनिक वादी नीति के तहत अमेरिकी उपनिवेश पर अनेक आर्थिक नियंत्रण लगाए और इस क्रम में विभिन्न कानून बनाए

3.1 नव परिवहन कानून

इसके तहत कहा गया कि इंग्लैंड और उसके उपनिवेश के जहाज ही अमेरिकी बंदरगाहों पर जा सकते हैं इस तरह अमेरिकी बस्तियों के सभी आयात एवं निर्यात ब्रिटिश जहाजों द्वारा करना बाध्यकारी हो गया इससे ब्रिटिश जहाज उद्योग को लाभ मिला किंतु अमेरिकी लोगों को हानि हुई।

3.2 औद्योगिक कानून

इसके तहत इंग्लैंड ने अमेरिका के उन औद्योगिक उत्पादन पर प्रतिबंध लगाया जिसका निर्माण इंग्लैंड में होता था इसी क्रम में अमेरिका में तांबा गलाने पर रोक लगा दी गई लौह उद्योग को बंद कर दिया गया ऊनी वस्त्रों एवं गोपियों के निर्माण पर प्रतिबंध लगाया गया इससे अमेरिकी लोगों के हित बाधित हुए।

3.3 व्यापारिक कानून

इसके तहत कहा गया कि अमेरिका में उत्पादित कुछ वस्तुएं जैसे कपास तंबाकू चावल का निर्यात केवल इंग्लैंड ही किया जाएगा किसी अन्य देश को नहीं इस कानून से अमेरिकियों को आर्थिक हानि हो रही थी क्योंकि अन्य यूरोपीय देश इन वस्तुओं का अधिक मूल्य देने को तैयार थे।

इस प्रकार ब्रिटिश औपनिवेशिक आर्थिक कानून ने वनिक वादी नीतियां ब्रिटिश हितों को सर्वोपरि रखते हुए अमेरिकी लोगों के आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला वस्तुतः अमेरिकी बस्तियों के साथ इंग्लैंड के संबंध वनिक वादी आर्थिक सिद्धांतों पर आधारित थे जिसके अनुसार उपनिवेश की समस्त आर्थिक गतिविधियां मात्र देश के अधीन होती हैं

इस तरह अमेरिका में ब्रिटिश शासन द्वारा नियंत्रित आर्थिक गतिविधियां लागू थी जबकि अमेरिकी लोग मुक्त व्यापार की नीति की चाहत रखते थे अतः उन्होंने ब्रिटिश वनिक वादी नीतियों के विरुद्ध असंतोष प्रकट किया इस तरह ब्रिटिश स्वनिक वाद एवं अमेरिकी पूंजीवाद की टकरा हटने अमेरिकी क्रांति को संभव बनाया।

4. सप्त वर्षीय युद्ध (1756–63)

इंग्लैंड और फ्रांस के बीच सप्तवर्षीय युद्ध हुआ जिसमें फ्रांस की पराजय हुई इस युद्ध के परिणामों ने अमेरिकी क्रांति में अपनी भूमिका निभाई जिसे निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत समझा जा सकता है–

4.1 युद्ध में फ्रांस की पराजय से उसके नियंत्रित क्षेत्र कनाडा पर ब्रिटिश नियंत्रण स्थापित हुआ अब तक अमेरिकी लोग फ्रांस के आक्रमण के भय के कारण अपनी सुरक्षा के लिए ब्रिटिश पर निर्भर होते थे किंतु अब फ्रांस के आक्रमण का भय समाप्त हो गया अतः ब्रिटिश सुरक्षा पर निर्भरता भी समाप्त हो गई अब अमेरिकी लोग ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अपने असंतोष को व्यक्त कर सकते थे।

4.2 इस युद्ध में इंग्लैंड का अत्यधिक व्यय हुआ अतः वित्तीय बोझ बढ़ा जिसे कम करने के लिए इंग्लैंड ने अमेरिकी लोगों पर विभिन्न कर आरोपित किए इससे अमेरिकी लोगों में असंतोष पैदा हुआ और उन्होंने इंग्लैंड की कर नीति का विरोध किया।

4.3 इस युद्ध में फ्रांस के पराजय के उपरांत अब अमेरिकी लोग उस क्षेत्र में बढ़ने लगे जहां अमेरिका के मूल निवासी रहते थे इसी क्रम में मूल निवासियों से उनका संघर्ष हुआ और इस संघर्ष में इंग्लैंड ने मूल निवासियों का पक्ष लेते हुए उनके लिए क्षेत्र आरक्षित कर दिए इससे अमेरिकी लोगों में ब्रिटिश सरकार के प्रति असंतोष पैदा हुआ जिसने क्रांति का मार्ग प्रस्तुत किया।

5. बौद्धिकों की भूमिका

जेम्स ओटिस थॉमस पेन बेंजामिन फ्रैंकलीन जैसे बुद्धिजीवियों ने प्रबोधन कालीन चिंतन से प्रेरित होकर अमेरिकी समाज को जागरूक किया अर्थात उन्हें शोषण के स्वरूप से परिचित कराया और अपने अधिकारों के प्रति सचेत किया।

जेम्स ओटिस ने कहा कि इतिहास में अभी तक सभी राजा दमनकारी होते हैं किंतु इससे दमन करना कोई अधिकार तो नहीं बन जाता इस प्रकार बुद्धिजीवियों ने शोषण एवं दमन के विरुद्ध अमेरिकी लोगों को सचेत किया फलता अमेरिकी अपने अधिकारों को लेकर ब्रिटिश के विरुद्ध एकजुट हुए।

6. शासकों की नीतियां

6.1 ग्रेनविले की नीतियां

सप्तवर्षीय युद्ध के कारण इंग्लैंड पर बढ़ रहे वित्तीय बोझ को देखते हुए ब्रिटिश सम्राट चार्ज तृतीय ने 1760 ईस्वी में प्रधानमंत्री ग्रेनविले को प्रशासन में कार्यकुशलता लाने को कहा इसी क्रम में ग्रेनविले ने अमेरिकी डाक को पढ़ा अर्थात अमेरिका से आने वाली आय व्यय संबंधी रिपोर्ट का अध्ययन किया और पाया कि अमेरिका से इंग्लैंड को अपेक्षित आए नहीं हो रही है |

अतः उसने पुराने औपनिवेशिक कानूनों का कठोरता से पालन करने पर बल दिया और अमेरिका में हो रहे चोरी-छिपे व्यापार को रोकने का प्रयास किया साथ ही स्टांप एक्ट एवं शुगर एक्ट के माध्यम से अमेरिकियों पर नवीन कर आरोपित किए स्टांप एक्ट के तहत अमेरिकी लोगों के सभी प्रकार के कानूनी दस्तावेजों के लेनदेन एवं लाइसेंस के लेने तथा संपत्ति के क्रय विक्रय आदि पर शुल्क लगाया। फलता अमेरिकियों ने इन करों का विरोध किया और यह नारा दिया कि प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं अर्थात जिस ब्रिटिश संसद में कोई अमेरिकी प्रतिनिधि नहीं बैठता उस संसद को अमेरिका पर कर लगाने का अधिकार नहीं है।

इस तरह संवैधानिक प्रश्न खड़ा कर अमेरिकियों ने ब्रिटिश कर नीति का विरोध करते हुए ब्रिटिश सरकार का विरोध किया तत्पश्चात ग्रेनविले की सरकार का पतन हुआ |

इसी क्रम में आगे चलकर ब्रिटिश प्रधानमंत्री लॉर्ड नार्थ की चाय नीति से असंतुष्ट होकर अमेरिकियों ने बोस्टन बंदरगाह पर चाय से भरे हुए ब्रिटिश जहाज को लूट लिया इस घटना को बोस्टन टी पार्टी के नाम से जाना जाता है |

इसी क्रम में अमेरिका एवं इंग्लैंड के बीच युद्ध शुरू हुआ जिसमें अमेरिकियों ने फ्रांस स्पेन हॉलैंड के सहयोग से इंग्लैंड को पराजित कर स्वतंत्रता अर्जित की |

इसी संदर्भ में यह कहा गया कि ग्रेनविले ने अमेरिका से आने वाली डाक को पढ़ लिया और अमेरिका को खो दिया।

Question for mains answer writing practice

ग्रेनविले ने अमेरिका से आने वाली बात तो पढ़ लिया और अमेरिका को खो दिया इस कथन की समीक्षा कीजिए

6.2 लॉर्ड नार्थ की नीति

ब्रिटिश प्रधानमंत्री लॉर्ड नार्थ ने अमेरिकी असंतोष को दूर करने के लिए अमेरिका पहुंचने वाली चाय को कम मूल्य पर उपलब्ध कराने का प्रयास किया |

इसी क्रम में ब्रिटिश कंपनियों से कहा गया कि वे बिना इंग्लैंड के तटों पर चाय के जहाज लाए हुए अमेरिकी बंदरगाहों पर चाय के जहाज ले जाएं ताकि तक शुल्क एवं परिवहन लागत से बचा जा सके और अमेरिकियों को सस्ती चाय उपलब्ध हो सके |

किंतु अमेरिकी लोगों ने इस चाय नीति का विरोध किया क्योंकि अब वह इंग्लैंड के किसी प्रकार के हस्तक्षेप को स्वीकार करने के पक्ष में नहीं थे |

अतः 1773 में सैमुअल ऐडम्स के नेतृत्व में अमेरिकियों ने बोस्टन बंदरगाह पर चाय से भरे हुए ब्रिटिश जहाज को लूट लिया इस घटना को बोस्टन टी पार्टी कहा जाता है अतः ब्रिटिश सरकार ने अमेरिकी लोगों पर कठोर कार्यवाही की |

इसी क्रम में उनके बीच सशस्त्र संघर्ष शुरू हुआ जहां अमेरिकियों ने इंग्लैंड को पराजित कर स्वतंत्रता हासिल की।

1. अमेरिका पर प्रभाव

1.1 अमेरिका स्वतंत्र हुआ और वहां गणतंत्र चमक शासन प्रणाली स्थापित हुई एक लिखित संविधान के तहत संघीय शासन एवं मानव अधिकारों की घोषणा की गई।

1.2 अमेरिका में धर्म एवं राजनीति को अलग करते हुए एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की स्थापना हुई।

1.3 अमेरिकी बंदरगाह विश्व व्यापार के लिए खोल दिए गए और मुक्त व्यापार की अवधारणा लागू हुई इस तरह अमेरिका में पूंजीवादी आर्थिक संरचना स्थापित हुई जिसके तहत निजी संपत्ति एवं मुक्त व्यापार की अवधारणा लागू की गई।

2. इंग्लैंड पर प्रभाव

2.1 अमेरिकी उपनिवेश के स्वतंत्र हो जाने पर इंग्लैंड ने नए उपनिवेश ओं के निर्माण पर बल दिया इसी क्रम में ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड पर नियंत्रण स्थापित किया दूसरी तरफ इंग्लैंड ने अपनी औपनिवेशिक नीति में भी परिवर्तन किया उसने स्वयं उपनिवेश ओं के प्रति सुधारों की मांग पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए उन्हें स्वशासन का अधिकार भी दिया तो दूसरी तरफ अश्वेत उपनिवेश ओं के प्रति आरंभ से कठोर नियंत्रण की नीति अपनाई।

2.2 इंग्लैंड भी मुफ्त व्यापार की नीति का समर्थक बना वस्तुतः अमेरिकी स्वतंत्रता के पश्चात अमेरिका एवं ब्रिटेन के बीच व्यापार में भी वृद्धि हुई जो मुक्त व्यापार की अवधारणा पर आधारित था।

2.3 अमेरिकी उपनिवेश के स्वतंत्र हो जाने पर इंग्लैंड के राजतंत्र की प्रतिष्ठा में कमी आई और इससे संसद की शक्ति वाली।

3. फ्रांस पर प्रभाव

3.1 अमेरिकी क्रांति में फ्रांस ने इंग्लैंड के विरुद्ध अमेरिकियों का साथ दिया जहां इंग्लैंड की पराजय हुई इस तरह फ्रांस ने 7 वर्षीय युद्ध में हुई अपनी पराजय का बदला ले लिया।

3.2 अमेरिकी क्रांति में शामिल होने से फ्रांस पर वित्तीय बोझ बढ़ा इससे फ्रांस की जनता की कठिनाइयां बड़ी और वे असंतुष्ट होकर क्रांति की ओर उन्मुख हुए।

3.3 अमेरिकी क्रांति में भागीदारी कर वापस लौटते हुए फ्रांसीसी सैनिकों ने फ्रांस में अमेरिकी क्रांति की प्रगतिशील विचारधारा का प्रसार किया इस संदर्भ में लफ आयते नामक सैनिक कमांडर का नाम उल्लेखनीय हैं जिसने अमेरिकी क्रांति के आदर्शों जनतंत्र स्वतंत्रता मानवाधिकारों आदि को भी ब्रांच में प्रसारित किया फलता फ्रांस की जनता इन आदर्शों की प्राप्ति के लिए क्रांति की ओर उन्मुख हुई इन्हीं संदर्भों में यह कहा जाता है कि अमेरिकी क्रांति ने कुछ हद तक फ्रांस की क्रांति को प्रेरित किया।

4. भारत पर प्रभाव

4.1 अंग्रेजों ने आरंभ से ही भारत पर कठोर नियंत्रण की नीति अपनाई वस्तुतः अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के कारणों का परीक्षण करने पर जब ब्रिटेन ने यह पाया कि अमेरिका में आरंभ से ही कठोर हस्तक्षेप नहीं किया गया तो अमेरिकियों मैं स्वतंत्रता पूर्वक कार्य करने की परंपरा का विकास हुआ और वह स्वतंत्र चेतना से युक्त हुए अतः इससे सीख लेकर अंग्रेजों ने भारतीय उपनिवेश पर आरंभ से ही अपना नियंत्रण बनाना शुरू किया |

पिट्स इंडिया एक्ट, सहायक संधि प्रणाली, फूट डालो और राज करो की नीति के माध्यम से ब्रिटिश ने भारत पर अपनी पकड़ मजबूत की वस्तुतः इन नीतियों के माध्यम से ही भारतीयों को एकजुट होने से रोक सके और लंबे समय तक भारत में अपने साम्राज्य को बनाए रख सकें इन्हीं संदर्भों में यह कहा जाता है कि अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम ने ब्रिटेन को एक साम्राज्य से तो वंचित कर दिया किंतु दूसरे साम्राज्य की नींव को मजबूत बना दिया।

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अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटेन को एक साम्राज्य तो वंचित कर दिया किंतु दूसरे साम्राज्य की नींव को मजबूत बना दिया इस कथन का परीक्षण कीजिए?

अमेरिकी क्रांति का स्वरूप

अमेरिकी क्रांति के स्वरूप निर्धारण में नेतृत्व करता उनकी मांगें भागीदारी समूह प्रसार संवैधानिक प्रावधान एवं प्रावधानों को आधार बनाया जाता है इस दृष्टि से अमेरिकी क्रांति के निम्नलिखित स्वरूप उभरकर सामने आते हैं–

1. मध्यमवर्गीय स्वरूप

अमेरिकी क्रांति का नेतृत्व शिक्षित बुद्धिजीवी मध्यम वर्ग के हाथों में था और अमेरिकियों को प्रबोधन कालीन चिंतन अर्थात मानव अधिकारों से परिचित कराने में जेम्स ओटिस थॉमस पेन जैसे बुद्धिजीवियों की भूमिका थी तो साथ ही अमेरिकियों ने प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं का नारा देकर यह संवैधानिक मांगों को प्रस्तुत किया वह मध्यम वर्गीय हितों से युक्त दिखाई देती है। इतना ही नहीं स्वतंत्रता के पश्चात निर्मित संविधान में शामिल प्रावधान जैसे संपत्ति का अधिकार होना इसके मध्यमवर्गीय स्वरूप को दर्शाता है।

1.1 किंतु भागीदारी समूह एवं प्रभावों के स्तर पर क्रांति का स्वरूप व्यापक दिखाई देता है वस्तुतः क्रांति में समाज के विभिन्न वर्गों की व्यापक भागीदारी दिखाई देती है और गणतंत्र आत्मक शासन प्रणाली धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की स्थापना मानवाधिकारों की घोषणा जैसे तत्व क्रांति को लोकप्रिय स्वरूप संयुक्त करते हैं इस तरह क्रांति को केवल मध्यवर्गीय स्वरूप से युक्त नहीं कहा जा सकता।

2. प्रगतिशील स्वरूप

अमेरिकी क्रांति के पश्चात वहां लिखित संविधान गणतंत्र आत्मक शासन प्रणाली शक्ति के पृथक्करण सिद्धांत पर आधारित शासन की शक्तियों का बंटवारा स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना तथा धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना और मानव अधिकारों की घोषणा क्रांति को प्रगतिशील स्वरूप प्रदान करती है।

3. उपनिवेशवाद विरोधी स्वरूप

अमेरिकी क्रांति उपनिवेशवाद के विरुद्ध पहली क्रांति थी वस्तुतः अमेरिकियों ने ब्रिटेन से संघर्ष कर औपनिवेशिक मुक्ति प्रदान की इस दृष्टि से यह शोषण से मुक्ति की दिशा में आदर्श बन गई इसलिए इसे उपनिवेशवाद विरोधी क्रांति के स्वरूप में भी देखा जा सकता है।

4. क्रांति एवं स्वतंत्रता संग्राम के रूप में

आरंभ में अमेरिकी लोग ब्रिटिश सरकार से केवल सुधारों की मांग कर रहे थे किंतु बोस्टन टी पार्टी के पश्चात स्वतंत्रता की मांग आरंभ हो गई क्योंकि अब ब्रिटिश साम्राज्य की उपस्थिति ही मुख्य समस्या मानी गई और उससे मुक्ति समस्या का समाधान माना गया इसी क्रम में अमेरिकियों ने ब्रिटेन से संघर्ष कर स्वतंत्रता प्राप्त की इस दृष्टि से इस स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता है किंतु फिर भी इसे क्रांति इसलिए कहते हैं क्योंकि ना सिर्फ अमेरिका के राजनीतिक आर्थिक क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन आया बल्कि विश्व में परिवर्तन के लिए भी अमेरिकी क्रांति ने प्रेरित किया वस्तुत विश्व में पहली बार अमेरिका में लिखित संविधान गणतंत्र आत्मक शासन प्रणाली जनता की संप्रभुता जैसी अवधारणा लागू की गई जिसने विश्व को भी इन्हें अपनाने के लिए प्रेरित किया।

अमेरिकी संविधान

1 अमेरिका में लिखित संविधान निर्मित हुआ जिसके तहत एक गणतंत्र आत्मक शासन प्रणाली अपनाई गई अर्थात राज्य का प्रमुख जनता द्वारा निर्वाचित होगा।

2. इस संविधान के तहत शासन में शक्ति के पृथक्करण सिद्धांत को लागू करते हुए कार्यपालिका न्यायपालिका एवं विधायिका की शक्तियों को अलग-अलग हाथों में रखा गया क्योंकि तभी मानव अधिकारों को सुरक्षित रखा जा सकता है।

3. संविधान में संयुक्त राज्य अमेरिका शब्द का प्रयोग किया गया क्योंकि सभी राज्यों ने मिलकर स्वतंत्रता संघर्ष लड़ा था।

3.1 राज्य अपनी पहचान बनाए रखना चाहते थे इसलिए राज्यों को अपनी नागरिकता का अधिकार देते हुए संघ की नागरिकता का प्रावधान बनाया गया इस तरह अमेरिका में दोहरी नागरिकता लागू की गई।

3.2 अमेरिका में द्विसदनीय कांग्रेस की स्थापना हुई जहां उच्च सदन सीनेट में राज्यों को समान महत्व दिया गया वस्तुतः यह प्रावधान भी राज्यों को समान महत्व देने की अवधारणा से जुड़ा है।

4. धार्मिक संघर्ष से बचने के लिए धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की स्थापना की गई।

5 अमेरिकी संविधान की एक सीमा यह दिखाई देती है कि मानव अधिकारों की घोषणा दातों पर लागू नहीं होती थी अर्थात दास प्रथा को बनाए रखा गया साथ ही महिलाओं को मताधिकार नहीं दिया गया।

6. अमेरिकी संविधान निर्माताओं के सामाजिक आर्थिक प्रवेश का अध्ययन कर कुछ विद्वानों ने कहा कि अमेरिकी संविधान एक आर्थिक दस्तावेज है क्योंकि इसमें विशेष आर्थिक वर्गों के हितों को ध्यान में रखा गया।

इस संदर्भ में कहा गया कि संविधान सभा में शामिल सदस्यों में भूस्वामी वर्ग पूंजीपति सट्टेबाज तथा दातों के व्यापारी शामिल थे अतः इन्होंने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए पूंजीवादी आर्थिक संरचना को लागू किया।

इस मत के विपक्ष में यह कहा गया है कि संविधान सभा के सदस्य चाहे वह किसी आर्थिक पेशे से जुड़े हो किंतु संविधान निर्माण के क्रम में वे एक अमेरिकी राष्ट्र के हितों से संचालित है इसलिए यह संविधान अमेरिका के सभी क्षेत्रों में शांतिपूर्वक लागू हुआ वस्तुतः अमेरिकियों ने मिलकर जिस ब्रिटिश सरकार के हस्तक्षेप के विरुद्ध क्रांति की थी उसमें राजनीतिक एवं आर्थिक स्वतंत्रता की मांग शामिल थी इसलिए आजादी के पश्चात संविधान में सभी वर्गों के हितों को ध्यान में रखते हुए संपत्ति का अधिकार एवं व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता का अधिकार रखा गया इस दृष्टि से अमेरिकी संविधान अमेरिकी राष्ट्र के हितों को पूरा करता है वह किसी वर्ग विशेष के हितों को पूरा करने के लिए नियमित नहीं हुआ।

Question

क्या अमेरिकी क्रांति को टाला जा सकता था?

Answer

कुछ विद्वानों का मानना है कि यदि ब्रिटिश शासक दूरदर्शिता पूर्ण नीति अपनाते तो क्रांति को टाला जा सकता था वस्तुत ब्रिटिश सम्राट जारजट तृतीय एवं प्रधानमंत्री ग्रेनविले की नीतियों ने अमेरिकियों को असंतुष्ट कर दीया फलता क्रांति का मार्ग प्रशस्त हुआ यदि अमेरिकी उपनिवेश पर स्टांप एक्ट शुगर एक्ट के माध्यम से नवीन करने ही लगाए जाते तो क्रांति नहीं होती।

क्रांति के संदर्भ में यह स्पष्ट है कि ब्रिटिश सरकार ने इसे टालने का पर्याप्त प्रयास किया वस्तुतः जब अमेरिकियों ने नवीन करो का विरोध किया तो इंग्लैंड में ग्रेनविले की सरकार का पतन हुआ और फिर रॉकिंघम की नई सरकार ने नवीन करो जैसे स्टांप एक्ट आदि को समाप्त कर दिया किंतु फिर भी अमेरिकी लोगों का विरोध जारी रहता है आगे चलकर विलियम पिट की सरकार में टाउनसेंड नामक वित्त मंत्री ने यह सोचा कि अमेरिकी लोग आंतरिक करो का विरोध करते हैं वह कर या सीमा शुल्क का नहीं तो उसने चाय धातु और रंग आदि वस्तुओं पर सीमा शुल्क लगाया किंतु अब अमेरिकी लोग किसी तरह का कर देने को तैयार नहीं थे अब वे इस सिद्धांत पर दृढ़ थे कि प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं यहां तक कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री लार्ड नार्थ की चाय नीति का भी अमेरिकियों ने तीव्र विरोध किया।

दरअसल अमेरिकी उपनिवेश वासियों की मूल समस्या कर सुधारों की नहीं बल्कि ब्रिटिश शासन के औपनिवेशिक स्वरूप की उपस्थिति मूल समस्या थी क्योंकि यह शोषणकारी स्वरूप से युक्त थी।

दूसरी तरफ वयस्क होते हुए अमेरिकी उपनिवेश में स्वतंत्र चेतना एवं मानव अधिकारों की चाहत मौजूद थी अमेरिकी बस्तियों का एक राष्ट्रीय चरित्र बन रहा था और कोई भी राष्ट्र अधिक देर तक विदेशी शासन को स्वीकार नहीं कर सकता इस तरह ब्रिटिश वनिक वादी आर्थिक नियंत्रण तथा अमेरिकी लोगों की मुक्त व्यापार की चाहत ने दोनों देशों के बीच टकराव पैदा किया इसी क्रम में युद्ध शुरू हुआ जहां इंग्लैंड को पराजित कर अमेरिकियों ने अपने बेसिक शोषण से मुक्ति प्राप्त की।

इस दृष्टि से अमेरिकी क्रांति को टाला नहीं जा सकता था।

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