Northern mountains of India

उत्तर का पर्वतीय प्रदेश ( Northern mountains )

यह पर्वतीय प्रदेश (Northern mountains) पश्चिम में जम्मू कश्मीर से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक 2500 किलोमीटर में अविच्छिन्न रूप से फैला है। पूर्व की अपेक्षा पश्चिम में यह अधिक चौड़ा है। इसका मुख्य कारण है पश्चिम की अपेक्षा पूर्व में दबाव बल का अधिक होना।

यही वजह है कि माउंट एवरेस्ट और कंचनजंगा जैसी ऊंची ऊंची चोटियां पूर्वी हिमालय में विद्यमान हैं। हिमालय पर्वत का निर्माण यूरेशियन प्लेट और इंडिक प्लेट के टकराने से हुआ है।

Northern Mountain
हिमालय की उत्पत्ति

प्लेट टेक्टोनिक सिद्धांत के पहले यह माना जाता रहा था कि हिमालय की उत्पत्ति टेथिस सागर में जा में मलबों में दबाव पड़ने से हुआ है। इस्मत को अभी भी मान्यता प्राप्त है अतः हम टेथिस सागर को हिमालय का गर्भ ग्रह या जन्म स्थल भी कहते हैं।

हिमालय विश्व के नवीनतम मोड़ दार पर्वतों में से एक है। इसका निर्माण अल्पाइन भू संचलन के तहत टर्टियरी काल में हुआ है।

उत्तरी पर्वतीय प्रदेश ( Northern mountains ) को तीन भागों में बांटा जा सकता है –

  1. हिमालय पर्वतीय प्रदेश
  2. ट्रांस हिमालय पर्वतीय प्रदेश
  3. पूर्वांचल की पहाड़ियां

1 हिमालय पर्वतीय प्रदेश – (Northern mountains) के अंतर्गत तीन प्रमुख पर्वत श्रेणियां हैं –

  1. वृहद हिमालय या आंतरिक हिमालय श्रेणी।
  2. लघु हिमालय या हिमाचल श्रेणी।
  3. वाह हिमालय या शिवालिक श्रेणी।
Northern Mountain

(क)- वृहद हिमालय या आंतरिक हिमालय श्रेणी

इसे ही हिमाद्री, मुख्य हिमालय या बर्फीला हिमालय कहा गया है यह सिंधु नदी के गार्ज से अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी के मोड़ तक फैली है। विश्व की सर्वाधिक ऊंची चोटियों इसी श्रेणी में पाई जाती हैं।

माउंट एवरेस्ट या सागरमाथा इसकी सबसे ऊंची चोटी है। इस श्रेणी की ढाल उत्तर की ओर मंद है किंतु दक्षिण की ओर तीव्र है।

इस श्रेणी के मध्यवर्ती भाग से गंगा यमुना और उसकी सहायक नदियों का उद्गम है इसी श्रेणी को काटकर सिंधु ब्रह्म पुत्र एवं अलकनंदा ने पूर्ववर्ती घाटियों का निर्माण किया है।

पूर्ववर्ती नदी ( Antecedent River ) यह वे नदियां हैं जिनका निर्माण स्थल खंड में उत्थान के पहले हो चुका है। यदि नदी के मार्ग में स्थल खंड का उत्थान होता है तो पूर्ववर्ती नदी ऊंचे उठे स्थल खंड को काटकर अपने पुराने मार्ग एवं घाटी को सुरक्षित रखती हैं।

महान हिमालय में पूर्व की तुलना में पश्चिमी भाग में हिम रेखा की ऊॅचाई अधिक है। अर्थात् पूर्वी भाग में पश्चिम की अपेक्षा अधिक निचले भाग में बर्फ देखी जा सकती हैं जिसका कारण है पश्चिमी भाग का अधिक शुष्क होना।

आर्द्रता की अधिकता के कारण असम हिमालय में हिम रेखा की ऊॅचाई 4400 मी0 के करीब है जबकि कम आर्द्रता के कारण कश्मीर हिमालय में 5100 मी0 के करीब है।

Northern Mountain

लघु हिमालय या हिमाचल श्रेणी –

इसका विस्तार मुख्य हिमालय के दक्षिण में है। इसकी चौडाई 80 से 100 किमी0 के बीच है तथा इसकी औसत ऊॅचाई 3700 से 4500 मी0 के बीच है।

लघु हिमालय के अंतर्गत कई छोटी-छोटी श्रेणियॉ हैं जो निम्नलिखित है-

पीरपंजाल श्रेणी

इसका विस्तार झेलम और व्यास नदियों कि बीच कश्मीर में है। पीरपंजाल श्रेणी में बनिहाल और पीरपंजाल दो प्रमुख दर्रें हैं।

धौलाधर श्रेणी

जहॉ अलकनंदा बद्रीनाथ के पास वृहद हिमालय को पार करती है वहॉ मूल श्रेणी के दक्षिण में धौलाधर नामक श्रेणी पश्चिम की ओर फट जाती है। इसका विस्तार मुख्य रूप से हिमांचल प्रदेश में तथा आंशिक रूप से उत्तराखण्ड में है।

नागटिब्बा श्रेणी

जहॉ काली गंडक धौलागिरी चोटी के समीप वृहद हिमालय को काटती है वहॉ नागटिब्बा श्रेणी पश्चिम की ओर निकल जाती है।

महाभारत श्रेणी - इसका विस्तार नेपाल में है।

लघु हिमालय और वृहद हिमालय के मध्य दो खुली घाटियों का विकास हुआ है।
1. कश्मीर की घाटी
2. काठमांडू की घाटी

Kashmir and Kathmandu
कश्मीर एवं काठमांडू की घाटी

कश्मीर और काठमांडु जैसी घाटियों की रचना झीलों के निक्षेपण से हुई है। कश्मीर में पायी जाने वाली डल और वूलर झील इसके प्रमाण हैं।

लाहूत-स्फिति और कुल्लू की घाटी महान् हिमालय के बीच है। लघु हिमालय की ढाल पर छोटे-छोटे घास के मैदान पाये जाते हैं जिन्हें कश्मीर में मर्ग ( गुलमर्ग या सोनमर्ग ) तथा उत्तराखंड में बुग्याल या पयार कहा जाता है।

गुलमर्ग शीतकालीन खेंलों के केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध स्वास्थ्यवर्धक स्थान शिमला, मसूरी, चकराता, नैनीताल, रानीखेत, दार्जिलिंग आदि लघु हिमालय के निचले भाग में अर्थात् लघु हिमालय और शिवालिक श्रेणी के बीच में स्थित है।

शिवालिक श्रेणी या बाह्य हिमालय

शिवालिक श्रेणी लघु हिमालय के दक्षिण में अवस्थित है। इसका विस्तार पश्चिम में पंजाब के फोटो और वेशन से प्रारंभ होकर पूर्व में कोसी नदी तक है।

हिमाचल प्रदेश एवं पंजाब में यह अधिक चौड़ा है जबकि पूर्व में यह क्रम से सकरा होता जाता है।

यह हिमालय का सबसे नवीन भाग है। इसकी औसत ऊंचाई 600 से 1500 मीटर के बीच है।

शिवालिक को लघु हिमालय से अलग करने वाली घाटियों को पश्चिम में दून ( देहरादून )तथा पूरब में द्वार ( हरिद्वार )कहते हैं।

ट्रांस हिमालय या तिब्बत हिमालय श्रेणी

यह महान हिमालय के उत्तर में स्थित है। इसमें काराकोरम लद्दाख जास्कर एवं कैलाश पर्वत श्रेणियां शामिल हैं। काराकोरम श्रेणी को उच्च सिया की रीढ़ कहा जाता है।

Himalaya
हिमालय एवं पामीर की गांठ से संबंधित अन्य पर्वत श्रेणियां

ऊपर के चित्र से हिमालय क्षेत्र की पर्वत जटिलताओं को सरल रूप में देखा जा सकता है। सिंधु नदी जास्कर और लद्दाख श्रेणी के बीच बहती है तथा लद्दाख श्रेणी को कुंजी नामक स्थान पर काटकर भारत की सबसे गहरी गार्ज का निर्माण करती है।

पूर्वांचल की पहाड़ियां

यह भारत के उत्तरी पूर्वी राज्य में फैली हैं। इनमें से कई भारत और म्यांमार की सीमा रेखा के साथ फैली हैं तथा कई देश के आंतरिक हिस्से में हैं। पूर्वांचल की प्रमुख पहाड़ियों को निम्न मानचित्र में देखा जा सकता है।

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